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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : गरुड़ का पराक्रम । राम और लक्ष्मण का नागपाश से मुक्ति ।

रामायण : Episode 66

गरुड़ का पराक्रम । राम और लक्ष्मण का नागपाश से मुक्ति ।

राम व लक्ष्मण को मूर्च्छित कर और उन्हें नागपाश में बाँध कर इन्द्रजीत लंका के दुर्ग में वापस लौटता है। रावण को अपने महल में इन्द्रजीत की जयकार सुनाई पड़ती है। वह गर्वीले अन्दाज में अपने पुत्र का अभिनन्दन करता है। उधर राम की छावनी में विभीषण शोकग्रस्त स्वर में कहते हैं कि नागपाश से मुक्ति शरीर से प्राण निकलने के बाद ही होती है। जामवन्त बताते हैं कि भगवान ब्रह्मा ने नागपाश को यज्ञ से प्रकट किया था। भगवान शिव ने दुष्टों का संहार करने के लिये उनसे यह अस्त्र लिया था। बाद में मेघनाद ने शिव को प्रसन्न करके नागपाश उनसे ले लिया। अशोक वाटिका में सीता राम व लक्ष्मण के नागपाश में बंधने के समाचार से विचलित हैं। त्रिजटा के परामर्श पर वह माँ जगदम्बा से प्रार्थना करती हैं। उधर हनुमान गरुड़ देव के समक्ष पहुँचते हैं और उनसे नागपाश में बंधे राम लक्ष्मण के बन्धन काटने की प्रार्थना करते हैं। नारद मुनि के समझाने पर गरुड़ धरती पर आते हैं। वह अपनी चोंच से राम व लक्ष्मण के शरीरों से लिपटे नागपाश को काट देते हैं। दोनों भाईयों की मूर्च्छा भंग होती है। गरुड़ प्रभु राम की प्रदशिक्षा कर निज धाम वापस लौट जाते हैं। यह मध्य रात्रिकाल है। हनुमान राम से अनुमति माँगते हैं कि वानर सेना को जयघोष करने दिया जाये, इससे लंका में चिन्तित बैठी सीता माता तक संकेत पहुँच जायेगा कि संकट टल चुका है। वानर शंखध्वनि के साथ जय सियाराम का उद्घोष करते हैं। त्रिजटा सीता को समझाती हैं कि उनके नाम के साथ राम का नाम जोड़कर जयनाद करके वानर सेना उन तक विपत्ति टलने का सन्देश भेज रही है। उधर रावण के महल तक भी यह गूँज पहुँचती है। रावण बेचैन हो उठता है। मेघनाद भी रावण के पास महल के झरोखे में पहुँचता है। वह भी सशंकित है। तभी गुप्तचर शूक उन्हें सूचना देता है कि गरुड़ राम व लक्ष्मण को बन्धनमुक्त कर चुके हैं। रावण मेघनाद से कहता है कि अगले दिन के युद्ध में उसे राम लक्ष्मण को मारकर अयोध्यापति बनना है। एपीसोड के अन्त में निर्देशक रामानन्द सागर कहते हैं कि कुछ भक्तो ने राम व लक्ष्मण के नागपाश में बंधने के प्रसंग को गलत बताया है लेकिन वाल्मीकि रामायण व गोस्वामी तुलसीदास कृत राम चरित मानस में नागपाश की घटना का वर्णन विस्तारपूर्वक किया गया है।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Shurpanakha - शूर्पणखा

शूर्पणखा भारतीय महाकाव्य रामायण में एक महत्वपूर्ण पात्र है। वह एक राक्षसी है जिसे वाल्मीकि द्वारा दिए गए महाकाव्य में विस्तार से वर्णित किया गया है। शूर्पणखा का नाम संस्कृत में "चुभने वाली नखें" का अर्थ होता है। वह रावण की बहन है और खूबसूरती और अत्यधिक बुद्धिमान होने के कारण अपने भाई के नेतृत्व में राक्षसों की सेना में शामिल होती है।

शूर्पणखा का वर्णन रामायण में बहुत ही रोचक है। वह सुंदरता की प्रतीक है और उसकी बड़ी नखें उसके चेहरे को और अधिक आकर्षक बनाती हैं। उसके बाल लम्बे और काले होते हैं और उसकी आँखों में शातिरता और कर्मठता की चमक होती है। शूर्पणखा वाल्मीकि के काव्य में अभिप्रेत पात्रों में से एक है जो रामायण की कहानी को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण काम करती है।

शूर्पणखा के पास असाधारण शक्ति होती है और वह दूसरों को राक्षस बनाने की क्षमता रखती है। उसका स्वभाव उत्तेजित और प्रबल होता है और वह आसानी से राक्षसों की सेना का नेतृत्व कर सकती है। शूर्पणखा की प्रधान पहचान उसकी खुदाई की जाती है, जिसमें उसके पैरों के निशान भी दिखाई देते हैं। वह उसे अपनी राक्षसी शक्ति और प्रबलता का प्रतीक मानती है और इसे अपने भाई रावण को दिखाने के लिए उपयोग करती है।

शूर्पणखा के अभिप्रेत कार्यों में से एक राम के पास पहुंचकर उसे प्रेम करने का प्रयास करना है। जब वह राम को देखती है, तो उसकी सुंदरता और प्रभाव में मग्न हो जाती है और उसे उससे प्रेम हो जाता है। वह राम को प्रतिबिंबित करने के लिए अपने भाई खर और दूषण के साथ राम के निवासस्थान पर आती है।

हालांकि, शूर्पणखा का प्रेम प्रकट होने पर राम उसे अपनी पत्नी सीता के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, शूर्पणखा भयानक रूप में तब्दील हो जाती है और उसे लक्ष्मण द्वारा नास्तिक्रियता का दंड दिया जाता है।

शूर्पणखा का पात्र रामायण के कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण बदलाव प्रदान करता है। उसकी प्रेम कथा उसकी उच्चता और विपरीतता को दर्शाती है जहां प्रेम निःस्वार्थ और सत्य होने के बावजूद उसका परिणाम विनाशकारी हो जाता है। शूर्पणखा का चरित्र रामायण के पुरुषार्थ, धर्म, और नर और नारी के संबंधों को गहराई से समझने का एक माध्यम है। उसकी कथा द्वारा हमें यह भी सिखाया जाता है कि न केवल दया और प्रेम में ही जीवन का अर्थ होता है, बल्कि सत्य, धर्म, और अपने कर्तव्यों का पालन करना भी महत्वपूर्ण है।

शूर्पणखा रामायण की एक प्रमुख चरित्र है जो राम, सीता, और लक्ष्मण की कथा में एक महत्वपूर्ण संचालक है। उसका पात्र उदारता, सुंदरता, अपार बुद्धिमत्ता, और राक्षसी शक्ति के साथ भरा होता है। शूर्पणखा की कथा हमें अदालती, स्वार्थ, और सम्प्रेषण के मामलों में विवेचना करने के लिए प्रेरित करती है। उसकी कथा द्वारा हमें यह भी समझने का अवसर मिलता है कि आत्म-प्रतिष्ठा और विश्वास का महत्व क्या होता है और धर्म के मार्ग में बरकरार रहना क्यों जरूरी है। शूर्पणखा रामायण की पाठशाला में एक महत्वपूर्ण चरित्र है जो हमें धर्म, नैतिकता, और जीवन के महत्वपूर्ण संदेशों को समझाने में मदद करता है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.