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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : राम रावण के बीच प्रथम संग्राम। रावण का कुम्भकरण को जगाने का आदेश।

रामायण : Episode 60

राम रावण के बीच प्रथम संग्राम। रावण का कुम्भकरण को जगाने का आदेश।

रणभेरी बजती है। लंका का मुख्य द्वार खुलता है। अपनी चतुरंगिणी सेना के साथ रावण रथ पर सवार होकर अपने दुर्ग से बाहर निकलता है। जामवन्त राम से कहते हैं कि इतनी शीघ्र रावण का स्वयं युद्ध में आना आपकी विजय का प्रतीक है। रावण राम को सामने आने के लिये ललकारता है और कहता है कि युद्ध लम्बा खिंचने से दोनों ओर के निरपराध सैनिक मारे जा रहे हैं। वह सीधा राम से युद्ध करके आज किस्सा खत्म कर देना चाहता है। किन्तु सुग्रीव पहले रावण के सामने आ जाता है। रावण एक मुष्टिका प्रहार से सुग्रीव को मूर्च्छित कर देता है और फिर उसकी हत्या करने के लिये बाण चलाने वाला होता है कि लक्ष्मण अपने बाण से रावण का धनुष काट देते हैं। लक्ष्मण रावण को धिक्कारते हैं कि वो एक मूर्च्छित योद्धा का वध करना चाहता था। रावण कहता है कि असुर युद्ध नीतियों की परवाह नहीं करते, उनके लिये केवल जीत अर्थ रखती है। रावण विषबुझा बाण चलाकर लक्ष्मण को मूर्च्छित अवस्था में पहुँचा देता है। अंगद लक्ष्मण को युद्धभूमि से बाहर ले जाते हैं। क्रोधित हनुमान रावण के रथ पर चढ़कर उस पर प्रहार करते हैं लेकिन रावण हनुमान को रथ से नीचे गिरा देता है। राम वहाँ आकर रावण के बल की प्रशँसा करते हैं लेकिन खेद प्रकट करते हैं कि रावण अपने बल का उपयोग पापकर्मों में कर रहा है। रावण राम से अस्त्र शस्त्र की भाषा में बात करने की चुनौती देता है। राम रावण के बीच प्रथम युद्ध छिड़ जाता है। राम रावण के हर अस्त्र शस्त्र को काट देते हैं। जब शिव से वरदान में प्राप्त रावण की चन्द्रहास तलवार को राम अपने बाण से दो टुकड़ों में विभक्त कर देते हैं तब पहली बार रावण के चेहरे भय की रेखाएं साफ उभरती हैं। राम कहते हैं कि तुम असुरों की कोई युद्ध नीति नहीं होती लेकिन रघुवंशी युद्धधर्म का पालन करते हैं। युद्धधर्म कहता है कि शस्त्रहीन पर वार नहीं करना चाहिये, इसलिये राम रावण को जीवित किन्तु अपमानित करके छोड़ देते हैं और अगले दिन नये शस्त्र लेकर लड़ने आने को कहते हैं। रावण अपना टूटा रथ वहीं छोड़कर, टूटे अहंकार के साथ पैदल युद्धभूमि से वापस आता है। रावण अपने दूतों से सातों महाद्वीपों में रहने वाले राक्षसों और असुरों को लंका में एकत्रित होने का सन्देशा भिजवाता। सदैव रावण को सीता लौटाने का उपदेश देने वाले नाना माल्यवान के विचार भी बदल चुके हैं। वह रावण से कहता है कि अब युद्ध प्रारम्भ हो चुका है तो इसे पूरी वीरता से लड़ो। माल्यवान रावण को स्मरण कराता है कि उसके पास कुम्भकरण जैसा परम बलशाली भाई सोया पड़ा है तो वह दूसरे राक्षसों को बुलाने दूत क्यों भेज रहा है। रावण के चेहरे पर उत्साह उपजता है। वह कुम्भकरण को जगाने का आदेश देता है। त्रिजटा युद्ध के प्रथम दिन का हाल सीता को बताकर उन्हें प्रसन्न करती है। विशाल काया वाला कुम्भकरण अपने शयनकक्ष में सोया पड़ा है। सैनिक शोर मचाने वाले बड़े बड़े वाद्ययन्त्र लेकर उसे जगाने पहुँचते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Sumitra - सुमित्रा

सुमित्रा, भगवान राम के पिता राजा दशरथ की तीसरी पत्नी और भरत की मां थीं। वह एक समझदार, सुंदर और धैर्यशाली महिला थीं जिन्हें उनकी पति और परिवार द्वारा गहरी सम्मान प्राप्त थी। सुमित्रा के द्वारा भी कई महत्वपूर्ण कार्यों को संपादित किया गया था। वह राजमहल में उच्च स्थान पर होती थीं और रानी के रूप में अपने दायित्वों को सम्भालती थीं।

सुमित्रा को सभी लोग एक सज्जन, नेतृत्व कुशल और संतानों के प्रति विशेष स्नेह रखने वाली महिला के रूप में जानते थे। वह अपनी महान पतिव्रता और उदारता के लिए प्रसिद्ध थीं। सुमित्रा ने दशरथ राजा के प्रेम को पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ स्वीकार किया और राजमहल में एक मान्य और सम्मानित स्थान प्राप्त किया। वह राजमहल की सभी महिलाओं के लिए एक आदर्श मार्गदर्शक थीं।

सुमित्रा की पत्नी और माता के रूप में वह अपनी संतानों को नहीं सिखाती थीं, बल्कि उनके बारे में अपनी महत्त्वपूर्ण सूचनाओं का संचालन करती थीं। वह अपने पति के और बाकी सभी परिवार सदस्यों के साथ मिलकर मित्रता और समझौते की भावना को बढ़ावा देती थीं। सुमित्रा ने सुंदरकांड में अपने त्याग और निर्भयता के लिए प्रसिद्ध हुईं।

सुमित्रा ने अपनी संतानों के उच्चतम मूल्यों के प्रति आदर्शवादी भावना को बढ़ावा दिया। वह अपने पुत्र भरत के साथ विचार-विमर्श करती थीं और उन्हें सही मार्गदर्शन देने का प्रयास करती थीं। उन्होंने भरत के धर्म, नैतिकता और न्याय के प्रति अपार सम्मान रखा था। उन्होंने भरत के साथ भाई-भाई के नाते की उच्चता और मान्यता को सदैव बनाए रखा।

सुमित्रा ने सीता की पत्नी और रामचंद्र जी की सहधर्मीन के रूप में भी अपने पात्र को सच्ची भावना के साथ निभाया। वह सीता के प्रति आदर्श दौलती थीं और अपने पुत्र लक्ष्मण के साथ उनकी सेवा में सहायता करती थीं। सुमित्रा के माध्यम से आदर्श प्रेम, सदभाव, एकता और परिवार के महत्व की महानता का संदेश सभी लोगों तक पहुंचा।

सुमित्रा राजा दशरथ की प्रिय पत्नी थीं, जो उन्हें धार्मिक और सामरिक विचारों में समर्थन देती थीं। उन्होंने अपने पति के और अन्य परिवार सदस्यों के साथ सामंजस्य और एकता को स्थापित किया। सुमित्रा राजमहल में विभिन्न कार्यों को संपादित करने के साथ-साथ परिवारिक और सामाजिक जीवन का संचालन करती थीं।

सुमित्रा की मूल्यवान गुणों की सूची में सहानुभूति, संयम, समर्पण, त्याग, धैर्य, उदारता और संवेदनशीलता शामिल थी। उन्होंने अपने पुत्रों को समय और प्रेम के साथ पाला, जो उन्हें सभी लोगों की नजरों में प्रशंसा के योग्य बनाता था। सुमित्रा रामायण में एक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपनी नेतृत्व कौशल के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.