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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : रावण का सीताजी को भयभीत करना । सीता हनुमान संवाद ।

रामायण : Episode 44

रावण का सीताजी को भयभीत करना । सीता हनुमान संवाद ।

हनुमान गुपचुप ढंग से अशोक वाटिका पहुँच जाते हैं। वे ओट से देखते हैं कि एक दुखियारी नारी गुमसुम सी वृक्ष के नीचे अपलक किसी की बाट जोहते बैठी है। हनुमान उनकी दशा देखकर समझ जाते हैं कि यही सीता मैया हैं। हनुमान लघु रूप में अन्दर प्रवेश करते हैं और प्रहरियों की दृष्टि से बचकर उसी अशोक वृक्ष के ऊपर छिप कर बैठ जाते हैं जिसके नीचे सीता हैं। तभी रावण मन्दोदरी और अपने अंगरक्षकों के साथ वहाँ आता है। सीता पुनः घास के तिनके की ओट लेती हैं। वह सीता को मनाने का अन्तिम प्रयास करता है किन्तु सीता अपने पतिव्रत पर अडिग हैं। हनुमान वृक्ष में छिपे रहकर दोनों का वार्तालाप सुनते हैं। रावण अपनी चन्द्रहास तलवार से सीता के प्राण लेने की धमकी देता है। उसे चन्द्रहास तलवार भगवान शिव ने प्रदान की थी। सीता चन्द्रहास से प्रार्थना करती हैं कि यदि वह भगवान शिव का वरदान है तो वह उनका शीश काटकर उनके पतिव्रत धर्म की रक्षा करे ताकि भगवान शिव को भी पता चले कि किसी कामुक पापी पुरुष को शक्तियाँ देने के क्या कुपरिणाम होते हैं। रावण सीता को मारने के लिये चन्द्रहास उठाता है। मन्दोदरी रावण का हाथ पकड़ लेती है और आतिथ्य में रहने वाली स्त्री की हत्या को नीति विरूद्ध बताकर उसे रोकने में सफल होती है। रावण सीता को दो मास का और समय देकर चला जाता है। राक्षसियाँ सीता को रावण से विवाह करने हेतु डराती हैं। त्रिजटा वहाँ आकर उन्हें रोकती है और बताती है कि उसने भोर का स्वप्न देखा है जिसमें राम लक्ष्मण के आगमन और लंका के विनाश के स्पष्ट संकेत थे। ये सुनकर राक्षसियाँ सीता से क्षमा माँगती हैं। सीता त्रिजटा से कहती हैं कि मृत्यु की देवी उन्हें अपनी गोद में क्यों नहीं बैठा लेती क्योंकि उनके प्रभु राम को कभी नहीं पता चलेगा कि उनकी वैदेही लंका में है। छिपकर सारा वार्तालाप सुन रहे हनुमान भावुक होते हैं। त्रिजटा सीता को ढाँढस बँधाकर चली जाती है। माता सीता को अकेला पाकर हनुमान वृक्ष में छिपे रहते हुए राम कथा का गान करते हैं। वे जानते हैं कि यदि वे एकदम से सीता के सामने गये तो वे डरकर चीख सकती हैं। हनुमान गाते हुए यह संकेत भी देते हैं कि प्रभु राम ने उन्हें दूत बनाकर भेजा है और उन्होंने निशानी के तौर पर अपनी मुद्रिका भेजी है। यह गाते हुए हनुमान सीता के समक्ष राम नाम अंकित मुद्रिका गिरा देते हैं। सीता रामदूत से सामने आने को कहती हैं। हनुमान वृक्ष से नीचे आते हैं। एक वानर को सामने देखकर सीता इसे रावण की कोई नयी माया समझती हैं। तब हनुमान कहते हैं कि यह कोई माया नहीं, वरन् उनका वास्तविक रूप है। यह मुद्रिका मायाजनित नहीं है बल्कि ये वही मुद्रिका है जो गंगापार उतराई में केवट को देने के लिये आपने प्रभु राम को दी थी। हनुमान सीता को विश्वास दिलाने के लिये रावण द्वारा हरण के समय उनके द्वारा पल्लू में बाँधकर आभूषण फेंकने की घटना भी बताते हैं और पल्लू के उस टुकड़े को देखकर राम कितना भाव विह्वल हुए थे, माता सीता को इसका वर्णन भी करते हैं। हनुमान सीता को ढाँढस देते हैं कि अब उनके द्वारा यह पता लगते ही कि सीता लंका में है, वे तनिक देर किये बिना यहाँ पहुँचेंगे।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Shatrughna - शत्रुघ्न

श्री रामचंद्र जी के छोटे भाई और महाराज दशरथ की चौथी पुत्र श्री शत्रुघ्न जी रामायण के प्रमुख चरित्रों में से एक हैं। शत्रुघ्न ने अपने बड़े भाई श्री रामचंद्र जी के समर्थन में समर्पित अपनी जीवन धारा को अपनाया था। उन्होंने अपने वीरता और निष्ठा के कारण रामायण में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है।

शत्रुघ्न का जन्म दशरथ और कौशल्या के द्वारा दिया गया था। वे भाई भरत के तत्वाधीन रहते थे और अपने भाई भरत की तरह ही वे भी भगवान रामचंद्र का अदर्श अनुयायी थे। शत्रुघ्न को बचपन से ही धर्म, संस्कृति, त्याग, और न्याय की महत्वाकांक्षा थी। उन्होंने गुरुकुल में अपनी शिक्षा प्राप्त की और उनके गुरु के प्रभाव में बचपन से ही वीरता और न्याय के मूल्यों का संकल्प लिया।

शत्रुघ्न की वीरता और दूध का धारी होने के कारण वे चारों वेदों में प्रशंसित हैं। उन्होंने अपनी वीरता का प्रदर्शन कई महत्वपूर्ण क्षणों में किया। एक बार जब श्री रामचंद्र जी चीतक नामक एक विशाल वन्य पशु की रक्षा कर रहे थे, तब शत्रुघ्न ने अपनी वीरता और पक्षियों के संरक्षण के लिए संघर्ष किया। उन्होंने चीतक को दारुवन्न में प्रविष्ट करने के बाद जंगली पशु को मार डाला और उनके भाई रामचंद्र जी की सफल यात्रा का उन्नयन किया।

शत्रुघ्न के रामायण में एक और महत्वपूर्ण क्षण है जब वे राक्षस लवण को मारते हैं। लवण अत्यंत दुष्ट था और वह अपनी असहाय माता का शोषण कर रहा था। शत्रुघ्न ने लवण की खुदाई विराम रोकने के लिए आगे बढ़ा और उन्होंने उसे मार डाला। इस क्रिया से वे अपने भाई रामचंद्र जी के प्रति अपनी सेवा और प्रेम की प्रदर्शनी करते हैं।

शत्रुघ्न का विवाह उर्मिला, लक्ष्मण जी की बहन के साथ हुआ था। उर्मिला भी शत्रुघ्न की तरह धर्म और न्याय के प्रतीक थी। उनका विवाह एक पवित्र और सार्थक संबंध के रूप में प्रमाणित होता है।

शत्रुघ्न का वर्णन रामायण में एक मार्गदर्शक, वीर और शांतिपूर्ण पुरुष के रूप में किया गया है। उनकी आदर्श व्यक्तित्व, धर्मप्रेम और अपने परिवार के प्रति समर्पण का प्रदर्शन रामायण के प्रमुख सन्दर्भों में देखा जा सकता है। शत्रुघ्न ने अपने बड़े भाई रामचंद्र जी का सदैव समर्थन किया और उनके आदर्शों का पालन किया।

शत्रुघ्न की अद्वितीय वीरता, उदारता और त्याग उन्हें एक महान चरित्र बनाते हैं। उन्होंने रामायण के पूरे पाठ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उनकी शक्तिशाली प्रतिभा और सामरिक योग्यता ने उन्हें अनेक विजयों की प्राप्ति की है।

शत्रुघ्न रामायण के एक प्रमुख चरित्र हैं जिन्होंने धर्म के मार्ग पर चलते हुए अपने भाई रामचंद्र जी के प्रति समर्पित रहकर उनके साथ अपनी पूरी जीवन धारा का निर्माण किया। उनकी वीरता, न्यायप्रियता और समर्पण की भावना उन्हें एक आदर्श पुरुष के रूप में बनाती है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.