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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : सुग्रीव की व्यथा। राम द्वारा बालि वध की प्रतिज्ञा व शक्ति प्रदर्शन।

रामायण : Episode 37

सुग्रीव की व्यथा। राम द्वारा बालि वध की प्रतिज्ञा व शक्ति प्रदर्शन।

राम कहते हैं कि जिस घर में भाई भाई एक साथ प्रेमपूर्वक रहते हैं, ऐसे घर को ही धरती का स्वर्ग कहते हैं। वे सुग्रीव से जानना चाहते हैं कि उन दोनों भाईयों में किस कारण शत्रुता हुई है। सुग्रीव बताते हैं कि बड़ा भाई बालि किष्किंधा नगरी का राजा था और वो युवराज। सुग्रीव सदैव बालि के प्रति निष्ठावान था। एक दिन मायावी नामक दानव ने बालि को द्वन्द युद्ध के लिये ललकारा। बालि ने उसकी चुनौती स्वीकार की। सुग्रीव भी उसके साथ गया। दोनो भाईयों को साथ आता देखकर मायावी दानव भयभीत हुआ और भाग कर एक गुफा में घुस गया। बालि सुग्रीव को गुफा के बाहर पहरे पर छोड़कर गुफा के अन्दर चला गया। एक वर्ष बीत गया लेकिन बालि बाहर नहीं आया तो सुग्रीव को आशंका हुई कि बालि दानव के हाथों मारा जा चुका है। सुग्रीव भयभीत हुआ कि कहीं दानव बाहर आकर किष्किंधा पर हमला न कर दे, सुग्रीव ने गुफा का मुख एक बड़ी शिला से बन्द कर दिया। किष्किंधा के मन्त्री परिषद ने बालि के न रहने पर युवराज सुग्रीव को नया राजा घोषित कर उसका राज्याभिषेक कर दिया। लेकिन बालि की मौत की आशंका गलत थी। वस्तुतः गुफा के बाहर जो लहू बहकर आया था, उससे सुग्रीव में आशंका उपजी थी कि बालि मारा गया है जबकि वो लहू मायावी दानव का था जिसे एक वर्ष तक युद्ध करके बालि ने मार दिया था। बालि ने जब गुफा से बाहर निकलने की चेष्टा की तो उसे गुफा का मुख बन्द मिला। बालि को लगा कि सुग्रीव ने उसके साथ विश्वासघात किया है। बालि शिला तोड़कर बाहर निकला और सीधे किष्किंधा के राजदरबार पहुँचा। वहाँ उसने सुग्रीव को राजसिंहासन पर विराजमान पाया। बालि ने सुग्रीव पर राज्य हड़पने का आरोप लगाया। सुग्रीव ने अपनी सफाई देने का प्रयास किया किन्तु बालि ने भ्रातद्रोह का आरोप लगाकर सुग्रीव को मृत्युदण्ड देने की घोषणा की और उसपर अपनी गदा से प्राणघातक प्रहार किये। सुग्रीव तो घायल हुआ लेकिन वहाँ से जान बचाकर भागने में सफल रहा। बालि से बचने के लिये सुग्रीव को धरती पर कहीं शरण नहीं मिली तो वह ऋष्यमूक पर्वत में आकर छिप गया। बालि इस पर्वत पर कभी नहीं आ सकता था। लक्ष्मण इसकी वजह पूछते हैं तो हनुमान बताते हैं कि एक बार बालि ने मायावी के भाई दानव दुन्दभि को मारा था और उसके मृत शरीर को दोनों हाथों से उठाकर पूरे वेग से चार कोस दूर फेंक दिया था। दुन्दभि के मुख से निकले रक्त की कुछ छींटे ऋषि मतंग के आश्रम में जा गिरी। इससे क्रोधित ऋषि ने श्राप दिया कि जिसने भी यह कृत्य किया है, यदि वो उनके आश्रम के एक योजन के क्षेत्र में प्रवेश करेगा तो उसकी मृत्यु हो जायेगी। इस श्राप के भय से बालि कभी भी ऋष्यमूक पर्वत की ओर नहीं आता है। लेकिन उसने सुग्रीव की पत्नी रूमा को भी जबरन छीन रखा है। राम कहते हैं कि बालि का यह अपराध उसे मृत्युदण्ड देने के लिये काफी है। राम प्रतिज्ञा करते हैं कि अगले दिन सूर्यास्त से पहले वे बालि का वध कर सुग्रीव को उनका राज्य और पत्नी दोनों वापस दिलायेंगे। अगले दिन सुग्रीव राम को बालि के बल के बारे में बताकर सावधान करते हैं। बालि को यह वरदान प्राप्त है कि वो जिससे युद्ध करेगा, उसका आधा बल बालि को मिल जायेगा। सुग्रीव बताता है कि दुंदभि एक विशाल भैंसासुर था। एक बार उसने समुद्र को युद्ध के लिये ललकारा। समुद्र ने उससे लड़ने में असमर्थता व्यक्त की और उसे हिमवान के पास लड़ने भेजा। हिमवान ने भी युद्ध करने की बजाय दुन्दभि को बालि से मुकाबला करने को कहा। बालि ने युद्ध में दुन्दभि को मार दिया। दुन्दभि की हड्डियों का ढांचा गुफा के बाहर पड़ा है। सुग्रीव बताते हैं कि यहाँ ताड़ के सात पेड़ हैं जिन्हें बालि बाण से भेद सकता है। राम के कहने पर सुग्रीव उन्हें दुन्दभि के अस्थि पिंजर के पास ले जाते हैं। जामवन्त राम की शक्ति को परखना चाहते हैं। राम अपने पैर की एक ठोकर से दुन्दभि के पिंजर को कोसों दूर फेंक देते हैं। इसके बाद राम एक बाण से ताड़ के सातों पेड़ काटकर गिरा देते हैं। सुग्रीव राम की जय जयकार कर उनके चरणों पर झुक जाते हैं। राम सुग्रीव से बालि को युद्ध के लिये ललकारने को कहते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Lava - लव

श्री रामायण महाकाव्य में श्री राम और माता सीता के पुत्र लव को एक महत्वपूर्ण चरित्र माना जाता है। लव श्री रामचंद्र जी के और सीता जी के दोनों पुत्रों में से एक हैं। उनका जन्म वाल्मीकि मुनि के कवित्व महाकाव्य रामायण के उत्तर कांड में वर्णित हुआ है। लव और कुश दोनों भ्रातृभाग्य को प्राप्त करने वाले हैं। इन्होंने श्री राम के गुणों का पालन करते हुए बड़े होकर अपने माता-पिता का सम्मान किया और अपनी माता की पुरी चिंता और सेवा की।

लव का वर्णन रामायण में काव्यात्मक रूप से किया गया है। वह बहुत ही सुंदर और प्रियदर्शी थे। उनके मुख पर अद्यतित मुद्रा रहती थी और उनकी किरणों से सबको प्रभावित कर देते थे। उनके बाल लम्बे, सुंदर और चमकीले थे। उनकी आंखें अत्यंत मनमोहक थीं और व्यक्तित्व में वे अत्यंत प्रिय किए जाते थे।

लव श्री राम की अद्यतन मुद्रा, व्यंग्य, काव्य, विदूषणा आदि कलाओं में आदित्य कहे जाते हैं। वे गुणों, धर्म और सौंदर्य का समन्वय हैं। उनके प्रति लोगों का आदर बढ़ता था क्योंकि उन्होंने अपने पिता के गुणों को पालन किया और अपनी माता की सेवा की। लव को धर्मिक विचारों और नेतृत्व की महत्ता को समझाने का बड़ा योगदान दिया जाता है।

लव अपनी ब्राह्मण जाति के लोगों की तरह धर्म-कर्म में निरत रहते थे। वे न्याय के नियमों का पालन करते थे और लोगों को अपने वचनों के प्रति प्रमाणित करते थे। उनका चरित्र पवित्र और निष्ठावान था। लव बुद्धिमान और समझदार होने के साथ-साथ मनोबल के धनी भी थे। उनके वाणी और विचार अत्यंत तेजस्वी थे, जिनसे उन्होंने लोगों को प्रभावित किया।

लव का ध्यान सम्पूर्णता, साहस, सौंदर्य और संयम पर था। उन्होंने बचपन से ही सबको आकर्षित किया और अपने माता-पिता का पूरा आदर किया। लव अपनी सामर्थ्य, प्रतिष्ठा और साहस के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने भाई कुश के साथ एक संघटित रूप से काम किया और विभिन्न यज्ञों और धार्मिक आयोजनों का आयोजन किया।

लव के व्यक्तित्व में सौंदर्य, साहस, आत्मविश्वास और शक्ति का परिचय होता है। उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई और अपनी प्रेम और समर्पण भावना से अपने आपको सबके लिए प्रकट किया। उनकी वीरता, धैर्य और न्यायप्रियता ने लोगों को आकर्षित किया और उन्हें आदर्श के रूप में स्वीकारा गया।

लव रामायण के एक महत्वपूर्ण पात्र हैं, जो अपनी माता-पिता की आदर्श आचारणा को प्रदर्शित करते हैं। उनका व्यक्तित्व, विद्या, विचारशीलता और धर्मपरायणता लोगों को प्रेरित करता है। लव की प्रतिष्ठा और सामर्थ्य की कथा लोगों को धार्मिक और नैतिक मूल्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करती है। उनका पात्र रामायण में एक उत्कृष्ट नगरी चित्रण के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

इस प्रकार, लव रामायण में एक महत्वपूर्ण चरित्र हैं जो संपूर्णता, सौंदर्य, धर्मपरायणता और साहस का प्रतीक हैं। उनका व्यक्तित्व लोगों को प्रेरित करता है और उन्हें धार्मिक और नैतिक मूल्यों का पालन करने की प्रेरणा देता है। लव रामायण के एक महत्वपूर्ण पात्र हैं जो अपने माता-पिता की सेवा करने के लिए प्रतिष्ठा को बढ़ाते हैं और अपने जीवन को धार्मिक और नैतिक मार्ग पर चलाने का उदाहरण स्थापित करते हैं।



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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.