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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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The Incredible Story of Lord Ram

रामायण : श्री राम के राज्याभिषेक की तैयारी। कैकेयी-मन्थरा संवाद

रामायण : Episode 13

श्री राम के राज्याभिषेक की तैयारी। कैकेयी-मन्थरा संवाद

राजमहल में सीता को राम के राज्याभिषेक की सूचना लक्ष्मण द्वारा मिलती है। राम भाईयों के साथ राजपाट चलाने की इच्छा रखते हैं किन्तु कुल परम्परानुसार उन्हें ही युवराज घोषित किया गया है। नगर में उनके राज्याभिषेक का ढिंढोरा बजता है। चारों ओर उत्सव सा महौल है। प्रजा गली चौक, खेत खलिहानों में बधाई गीत गाती दिखती है। पूरी अयोध्या नववधू की तरह सजायी जा रही है। यह दृश्य देखकर कैकेयी की कुबड़ी दासी मंथरा झुंझला जाती है। वो आपे से बाहर होकर उत्सव भंग करती है। वो रानी कैकेयी के महल में जाती है और उन्हें राम के राज्याभिषेक के विरूद्ध भड़काती है। वो कैकेयी के दिमाग में भर देती है कि राजा बनने के बाद राम का अपने भाईयों के प्रति प्रेम जाता रहेगा और वो उन्हें अपने मार्ग के कांटे की तरह साफ कर देगा। राजा राम की माँ कौशल्या अपनी सौत कैकेयी को दासी बनाकर रखेगी। मंथरा कैकेयी के अन्दर भरत को राजा बनाने का सपना दिखाती है और अपनी कुटिल बुद्धि से एक षडयन्त्र रचते हुए उन्हें राजा दशरथ के दिये दो वचनों का स्मरण कराती है। एक बार देवासुर संग्राम में राजा दशरथ असुरों के प्रहार से मूर्च्छित हो गये थे। उनकी सारथी बनी कैकेयी उन्हें रथ समेत सुरक्षित युद्धभूमि से बाहर ले गयी थी और उनके घाव भी ठीक किये थे। तब दशरथ ने उन्हें कभी भी दो वरदान माँग लेने का वचन दिया था। मंथरा कैकेयी से कहती है कि अब राजा दशरथ को उन दो वरदानों की याद दिला कर पहले से भरत के राजतिलक और दूसरे से राम को चौदह वर्ष के लिये वनवास भेजने के माँग करे। राम के वनवास को लेकर कैकेयी का मन दुविधा से भरता है लेकिन मंथरा उन्हें समझाती है कि भरत के निष्कंटक राज के लिये राम का अयोध्या से दूर रहना आवश्यक है। कैकेयी दम्भपूर्व स्वर में दासी को राजा दशरथ को बुलाने के लिये भेजती है। प्रहरी उसे दशरथ के कक्ष में नहीं जाने देता। तब मंथरा के सिखाने पर कैकेयी त्रिया चरित्र दिखाते हुए कोप भवन में चली जाती है। दशरथ कैकेयी के कोप भवन में जाने की सूचना पाकर परेशान होते हैं।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Sage Agastya - मुनि अगस्त्य

मुनि अगस्त्य रामायण में एक महत्वपूर्ण और प्रमुख चरित्र हैं। वे एक महर्षि हैं जिन्होंने अपने तपस्या और विद्या के माध्यम से महान शक्तियों को प्राप्त किया था। अगस्त्य मुनि का जन्म महर्षि उर्वशी और राजा नहुष के पुत्र के रूप में हुआ था। वे एक आदर्श पति, पिता और गुरु थे। अगस्त्य का नाम संस्कृत शब्द 'अगस्ति' से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है 'अद्भुत' या 'अत्यंत ध्यानयोग्य'।

अगस्त्य मुनि धर्म और तपस्या के पक्षपाती थे। उन्होंने अपना जीवन इंद्रिय वश में नहीं रखा और अपने मन, शरीर और आत्मा को एकीकृत किया। वे देवताओं और ऋषियों के बीच बड़ी मान्यता रखते थे और सदैव धर्म और न्याय के मार्ग पर चलते थे। अगस्त्य मुनि की अत्यंत बुद्धिमता, ज्ञानवान होने के साथ-साथ वे एक शान्त, संतुलित और स्वयंनियंत्रित व्यक्तित्व रखते थे। उन्होंने संसार में न्याय, धर्म और अहिंसा की शिक्षा प्रदान की और अपने ज्ञान का उपयोग लोगों की सहायता करने के लिए किया।

मुनि अगस्त्य का दिखावटी रूप बड़ा ही प्रभावशाली और आकर्षक होता था। वे मानवीय रूप में ही नहीं, बल्कि वनदेवता के रूप में भी प्रकट हो सकते थे। उनके मस्तिष्क में बहुत सारी शक्तियाँ होती थीं और उन्हें अन्य देवताओं के साथ मिलकर आपात समय में राज्य की सुरक्षा करने का आदेश देते थे। अगस्त्य मुनि के आदेश को मान्यता देना धर्मपरायण राजाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था।

अगस्त्य मुनि का एक महत्वपूर्ण कार्य रामायण में भी दिखाया गया है। जब भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण राज्य वन में वनवास जीवन बिता रहे थे, तब दण्डक वन में विविध राक्षसों ने अपराधियों के रूप में उनकी परेशानी की थी। उन्हें राक्षसी तड़ना से बचने के लिए अगस्त्य मुनि की सहायता चाहिए थी।

अगस्त्य मुनि ने राम को अपने विशेष शस्त्रों की सौगंध दी जिनका उपयोग वे राक्षसों के विरुद्ध कर सकते थे। वे एक अद्भुत धनुष भी दिए जिसका नाम ब्रह्मास्त्र था, जिसे राम ने बाद में रावण के खिलाफ उपयोग किया। अगस्त्य मुनि ने राम को अन्य रहस्यमय शस्त्र और मंत्रों की शिक्षा भी दी, जिनका उपयोग वे अपनी रक्षा में कर सकते थे। इस प्रकार, अगस्त्य मुनि ने राम को उनके वनवास के दौरान सकुशल रखने में मदद की और उनकी रक्षा की।

मुनि अगस्त्य रामायण के महान चरित्रों में से एक हैं, जो तपस्या, ज्ञान और धर्म के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किए गए हैं। उनके महत्वपूर्ण योगदान से राम ने राक्षसों के साथ संग्राम करने में सफलता प्राप्त की और अपनी पत्नी सीता की रक्षा की। अगस्त्य मुनि के उदाहरण ने मनुष्यों को आदर्श जीवन का पाठ पढ़ाया है और उन्हें धार्मिक और न्यायप्रिय आचरण की महत्वपूर्णता सिखाई है।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.