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जय श्री राम 🙏

सादर आमंत्रण

🕊 Exclusive First Look: Majestic Ram Mandir in Ayodhya Unveiled! 🕊

🕊 एक्सक्लूसिव फर्स्ट लुक: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का अनावरण! 🕊

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श्रीराम मंदिर, अयोध्या - Shri Ram Mandir, Ayodhya
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Lucknow To Ayodhya Flight

Lucknow To Ayodhya
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Ayodhya Map

There is/are 3 direct train(s) from Lucknow to Ayodhya. This/These train(s) is/are 04650, 09167, 09165, etc. The minimum time taken by a train from Lucknow is 2h 33m. The cheapest way to reach from Lucknow to Ayodhya is train to Ayodhya and takes 2h 33m. The fastest way to reach from Lucknow to Ayodhya is bus to Ayodhya and takes 2h 15m. The recommended way to reach from Lucknow to Ayodhya is train to Ayodhya and takes 2h 33m.

Distance Between Lucknow to Ayodhya

Distance between Lucknow to Ayodhya by Road is 135 Kms
Distance between Lucknow to Ayodhya by Flight is 124 Kms
Travel Time from Lucknow to Ayodhya by Road is 2:28 hrs
Nearest Airport in Lucknow Chaudhary Charan Singh International Airport
Nearest Airport in Ayodhya Faizabad


Temple 🔗

The Ram Mandir Trust has set December 2023 as the deadline and the temple will be open for devotees from January 2024.

Hotel In Ayodhya 🔗

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Places To See In Ayodhya 🔗

The top attractions to visit in Ayodhya are: Shri Ram Janma Bhoomi, Hanuman Garhi Mandir, Kanak Bhavan Temple, Sita Ki Rasoi

Ram Mandir Ayodhya Lord Ram Images
Ram Mandir Ayodhya Lord Shiv Vishnu Brahma Images

अयोध्या Route

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Facts and History of Ayodhya

लक्ष्मण कौन थे

लक्ष्मण रामायण के एक आदर्श पात्र हैं। इनको शेषनाग का अवतार माना जाता है। रामायण के अनुसार, राजा दशरथ के तीसरे पुत्र थे, उनकी माता सुमित्रा थी। वे राम के छोटे भाई थे, इन दोनों भाईयों में अपार प्रेम था।

त्रेता युग में जब भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में राजा दशरथ के घर जन्म लिया तब शेषनाग ने भी उनके छोटे भाई लक्ष्मण के रूप में जन्म लिया था। लक्ष्मण की माता का नाम सुमित्रा था। लक्ष्मण को कई अन्य नामों जैसे कि लखन, सुमित्रानंदन, सौमित्र, रामानुज के नाम से भी जाना जाता हैं। लक्ष्मण का चरित्र संपूर्ण रामायण में ऐसा हैं कि उन्होंने हर पथ पर अपने भाई श्रीराम का साथ दिया तथा इसके लिए उन्होंने अपने सुख-सुविधा का भी ध्यान नही दिया। उन्होंने एक छोटे भाई होने के उच्च आदर्श स्थापित किये थे।

श्रीराम के साथ वन में जाने का निर्णय जब उन्होंने अपनी माता सुमित्रा को बताया तो वे अत्यधिक प्रसन्न हुई। उन्होंने लक्ष्मण को आशीर्वाद देकर कहा कि जहाँ भी श्रीराम का वास हैं वही तुम्हारी अयोध्या हैं। इसलिये चौदह वर्षों तक श्रीराम की मन लगाकर सेवा करना व उन्हें कोई कष्ट मत होने देना। इसके बाद लक्ष्मण अपनी पत्नी उर्मिला से मिलने गए तब उनकी असली परीक्षा की घड़ी आयी। माता सीता ने अपने पति की सेवा करने के लिए उनके साथ ही वन में जाने का निर्णय लिया था तो वही उर्मिला भी लक्ष्मण की सेवा करने के लिए वन में जाना चाहती थी। तब लक्ष्मण ने उर्मिला से कहा कि वे वन में श्रीराम व माता सीता की सेवा करने जा रहे हैं और यदि उर्मिला भी उनके साथ होगी तो वे सही से श्रीराम की सेवा नही कर पाएंगे। साथ ही श्रीराम व माता सीता के जाने से उनकी माता कौशल्या बहुत व्याकुल हो जाएँगी तो उर्मिला को चौदह वर्षों तक माता कौशल्या की सेवा करनी होगी व उनका ध्यान रखना होगा। इसके साथ ही उन्होंने उर्मिला से चौदह वर्षों तक आंसू नहीं बहाने का कठोर वचन ले लिया। यह कहकर लक्ष्मण अपने भाई व भाभी के साथ एक वनवासी के भेष में अयोध्या छोड़कर वन में चले गए।

रामायण के प्रसिद्ध पात्र

Ahilya - अहिल्या

अहिल्या रामायण में एक प्रमुख पात्र है जिसकी विदाई कहानी अत्यंत रोमांचक है। वह एक राजमहिला थी जो अपनी शानदार सुंदरता के लिए मशहूर थी। अहिल्या को भगवान गौतम ऋषि की पत्नी के रूप में जाना जाता है। वह एकमात्र राजमहिला थी जिसने अपने आप को विधवा का दर्जा दिया था जब उनके पति की मृत्यु हो गई।

अहिल्या ने राजमहल की दीर्घ विरासत को सुरक्षित रखा था और उनके राजसभा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह धर्म, संस्कृति और कला के दृष्टिकोण से महान थीं और उनके राज्य के लोग उन्हें प्रेम और सम्मान से देखते थे। उनका व्यक्तित्व गर्व, सहानुभूति और सद्भावना से भरा हुआ था। उन्होंने जीवन के धन्य और निर्मल उदाहरण स्थापित किए थे और अपनी अद्भुत साहसिक कथाएं सुनाई थीं। वे अपने दरबार में न्याय के प्रतीक थे और लोगों के आदर्श हीरो थे।

हालांकि, अहिल्या की खूबसूरती और प्रभावशाली व्यक्तित्व के पीछे एक गहरा रहस्य छिपा था। वह एक दिन गौतम ऋषि के आश्रम में जाने का निर्णय लिया, जहां उन्हें अपनी मातृभाषा, तत्त्वज्ञान और ध्यान की ज्ञान प्राप्त होती है। यह आश्रम एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक स्थान था जहां ऋषियों और तपस्वियों का आवास था।

अहिल्या ऋषि गौतम के पास पहुंची और उन्हें धर्माचार्य के रूप में पूजा करने की निवेदन की। ऋषि गौतम, अहिल्या के प्रश्नों का उत्तर देते हुए, ध्यान के माध्यम से उनके मन में निर्मलता के लिए प्रकाश डालने की विधि सिखाते हैं।

एक दिन, अहिल्या भगवान गौतम की कड़ी तपस्या को बहुत ही अभिभूत होकर, उन्हें मोहित करने का प्रयास करती हैं। ध्यान के माध्यम से, ऋषि गौतम सभी आंतरिक बाधाओं को पहचानते हैं और जानते हैं कि अहिल्या की मनमानी और आत्मविश्वास का कारण उसकी शानदार सुंदरता है।

गौतम ऋषि की प्रतिक्रिया में, वे अहिल्या को शाप देते हैं कि वह पत्नी रूप से असह्य दोषों में रहेगी और केवल भगवान राम के संदेश से ही मुक्ति पा सकेगी। वे भगवान राम से विनती करते हैं कि वह अहिल्या को शाप से मुक्त करें।

अहिल्या का जीवन एक समय से बदल जाता है। वह तपस्विनी बनती है, जो अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगती है और नई आदर्शों की प्राप्ति के लिए प्रयास करती है। भगवान राम उनके सामर्थ्य, साहस और परिश्रम को देखकर विश्वास रखते हैं और अहिल्या को शाप से मुक्त करते हैं।

अहिल्या अपने नये जीवन को ग्रहण करती हैं और वह भगवान राम के साथ जुड़कर मानवता के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण बनती हैं। उनकी कथा एक प्रेरणादायक संदेश देती है कि चाहे हम जैसे भी हों, हमें हमारे अवगुणों के साथ समझौता नहीं करना चाहिए और हमेशा सत्य, धर्म और सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए।

अहिल्या रामायण का एक महत्वपूर्ण और आदर्श पात्र है जो भगवान राम के जीवन के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में प्रकट होती है। उनकी कहानी हमें उत्कृष्टता, ध्यान, और साहस की महत्ता को समझाती है और हमें सिखाती है कि कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, हम अपने अवगुणों को सच्चाई, प्रेम और परम धर्म के साथ समाप्त कर सकते हैं।



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|| सिया राम जय राम जय जय राम ||

News Feed

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2024 में होगी भव्य प्राण प्रतिष्ठा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किया जाना था. अब मंदिर ट्रस्ट ने साफ किया है कि उन्होंने अब इसके लिए जो समय सीमा तय की है वह दो माह पहले यानि अक्टूबर 2023 की है, जिससे जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के बाद सूर्य के उत्तरायण होते ही भव्य और दिव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा सके.

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रामायण कालीन चित्रकारी होगी

राम मंदिर की खूबसूरती की बात करे तो खंभों पर शानदार नक्काशी तो होगी ही. इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परकोटे में भी रामायण कालीन चित्रकारी होगी और मंदिर की फर्श पर भी कालीननुमा बेहतरीन चित्रकारी होगी. इस पर भी काम चल रहा है. चित्रकारी पूरी होने लके बाद, नक्काशी के बाद फर्श के पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर स्थित निर्माण स्थल तक लाया जाएगा.

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अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच ट्रेन

भारतीय रेलवे अयोध्या और नेपाल के बीच जनकपुर तीर्थस्थलों को जोड़ने वाले मार्ग पर अगले महीने ‘भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ चलाएगा. रेलवे ने बयान जारी करते हुए बताया, " श्री राम जानकी यात्रा अयोध्या से जनकपुर के बीच 17 फरवरी को दिल्ली से शुरू होगी. यात्रा के दौरान अयोध्या, सीतामढ़ी और प्रयागराज में ट्रेन के ठहराव के दौरान इन स्थलों की यात्रा होगी.